चीन के बाद भारत ही एक ऐसा देश है जहा की जनसख्या सबसे ज्यादा है ,और श्याद थोड़े दिनों में भारत चाइना को पीछे छोड़ देगा इस मामले में ,पर हम आपको आज एक ऐसा गाव दिखाना चाहते है भारत का जो आपको सोच में दाल देंगा .भारत में एक ऐसा गाव है जिसकी जनसँख्या 1922 में भी 1700 थी और आज भी इतनी ही है यानि की सतानवे साल में भी जनसँख्या में कोई फरक नहीं पड़ा .क्यों घूम गया सर इसका कारन है की यहाँ पर हर घर में सिर्फ दो ही बच्चे है और ये लोग लड़का और लड़की में भेदभाव नहीं करते .पुरे संसार में हर समस्या का कारण जनसख्या को मानते है क्योकि हमारे सब संसाधन सिमित है और प्रयोग करने वाले ज्यादा पर बेतुल का ये धनोरा गाव इस मामले में दुनिया का ब्रांड साबित हो सकता है .
धनोरा के इस गाव की पिछले सो सालो से जनसख्या नहीं बड़ी और वही की वही टिकी हुई है पर क्या आप जानते है इसके पीछे भी एक कहानी है .यहाँ के रहेने वाले एक आदमी बताते है की वर्ष 1922 में यहाँ कस्तूरबा गांधी आई थी और यहाँ पर कांग्रेस का एक जलसा हुआ था ,उसमे उन्होंने कहा था की अगर परिवार को खुशहाल रखना है तो छोटा परिवार ही सुखी परिवार के नारे पर अमल करना होगा .
गाव वालो ने कस्तूरबा गांधी की उस बात को पत्थर की लकीर मान लिया और गाव में परिवार नियोजन का रास्ता अपना लिया ,बड़े बुजुर्ग ये कहते है की गांधी की बात ऐसे दिमाग में बेठी की लोगो ने दो से ज्यादा बच्चे न जन्म देने की कसम खा ली .जिस भी परिवार में दो बच्चे हो जाते है वो अपना परिवार नियोजन करवा लेता है ,चाहे उस परिवार में दो लडकियों ने ही क्यों न जनम लिया हो .यहाँ के लोग लड़का और लड़की में भेद नहीं करते और परिवार नियोजन की राह पर नियम पूरवक चलते है .वैसे ही हमारे देश में भी कानून बनना चाइये की दो से ज्यादा बच्चे करना कानूनी जुर्म हो जिस से बढती हुई जनसख्या पर लगाम लगा सके .
